धीरे धीरे मेहनत हम करते जायेंगे एक एक करके सीढ़ी हम चढ़ते जाएंगे|
हर बाधा को पार कर खुद को हम बेहतर करते जांएगे|
काँटों को कुचलकर पैरों से शिखर पे चढ़ते जाएंगे|
न आँधियो से डरेंगे न ही तूफानों से घबराएंगे|
रास्ता नहीं है तो क्या नया रास्ता हम खुद बनाएंगे|
कभी कोई कहे तुम ये कैसे करोगे उनको बस जवाब यही दूंगा जिस दिन शिखर पर होऊंगाआप लोग ही ताली बजायेंगे|
भरोसा सिर्फ खुद पर होगा किसी से न हम कोई उम्मीद लगाएंगे|
पाना है हमको अपनी मंज़िल जनून से बढ़ते जाएंगे|
कहने वाले कहते रहेंगे हमको पागल हमें फर्क नहीं पड़ता वो सिर्फ कहते ही रह जायेंगे|
हम मुसाफ़िर हैं अपनी अपनी मंज़िल के सिर्फ और अपनी सफलता को आँखों में बसाएँगे|
डरता रहा हूँ मैं अब तक कहीं गिर न जाऊँ पर आज हम ये जान गए गर ऐसे ही डरते रहेंगे तो कुछ नहीं कर पाएंगे|
आज हमने ये जाना है अगर मेहनत से डरेंगे तो ता उम्र पछतायेंगे|
अब न ख़ौफ़ काँटों का होगा न पथ की चट्टानों से टकराएंगे|
सपनो को सच करके ही दम लेंगे हम सपनो साथ जियेंगे,मुस्कुराएँगे और खिलखिलाऐंगे|
ए ठान कर बढ़ाया है हमने कदम न रुकेंगे न झुकेंगे किसी भी मुसीबत के आगे मिलकर रहेंगे अपने सपनों के चौवारों से|
दिल में जो अरमा हैं वो सच होंगे भरोसा है ए खुद पे|
आँखों में जो मंजिल है वो पा लैंगे भरोसा है ए खुद पे||
उम्मीद पे खरे उतरेंगे माँ बाप की भरोसा है ए खुद पे|
बाँटेंगे सभी को खुशियाँ भरोसा है ये खुद पे||
गोविंदी कुशवाहा
हर बाधा को पार कर खुद को हम बेहतर करते जांएगे|
काँटों को कुचलकर पैरों से शिखर पे चढ़ते जाएंगे|
न आँधियो से डरेंगे न ही तूफानों से घबराएंगे|
रास्ता नहीं है तो क्या नया रास्ता हम खुद बनाएंगे|
कभी कोई कहे तुम ये कैसे करोगे उनको बस जवाब यही दूंगा जिस दिन शिखर पर होऊंगाआप लोग ही ताली बजायेंगे|
भरोसा सिर्फ खुद पर होगा किसी से न हम कोई उम्मीद लगाएंगे|
पाना है हमको अपनी मंज़िल जनून से बढ़ते जाएंगे|
कहने वाले कहते रहेंगे हमको पागल हमें फर्क नहीं पड़ता वो सिर्फ कहते ही रह जायेंगे|
हम मुसाफ़िर हैं अपनी अपनी मंज़िल के सिर्फ और अपनी सफलता को आँखों में बसाएँगे|
डरता रहा हूँ मैं अब तक कहीं गिर न जाऊँ पर आज हम ये जान गए गर ऐसे ही डरते रहेंगे तो कुछ नहीं कर पाएंगे|
आज हमने ये जाना है अगर मेहनत से डरेंगे तो ता उम्र पछतायेंगे|
अब न ख़ौफ़ काँटों का होगा न पथ की चट्टानों से टकराएंगे|
सपनो को सच करके ही दम लेंगे हम सपनो साथ जियेंगे,मुस्कुराएँगे और खिलखिलाऐंगे|
ए ठान कर बढ़ाया है हमने कदम न रुकेंगे न झुकेंगे किसी भी मुसीबत के आगे मिलकर रहेंगे अपने सपनों के चौवारों से|
दिल में जो अरमा हैं वो सच होंगे भरोसा है ए खुद पे|
आँखों में जो मंजिल है वो पा लैंगे भरोसा है ए खुद पे||
उम्मीद पे खरे उतरेंगे माँ बाप की भरोसा है ए खुद पे|
बाँटेंगे सभी को खुशियाँ भरोसा है ये खुद पे||
गोविंदी कुशवाहा